Friday, 24 April 2020

COVID-19 - Research Consortium (COVID-19 रिसर्च कंसोर्टियम)


20 अप्रैल, 2020 को जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (Biotechnology Industry Research Assistance Council) ने COVID-19 रिसर्च कंसोर्टियम के लिये प्राप्त आवेदनों के आधार पर बहु-स्तरीय समीक्षा प्रक्रिया जारी रखने और उपकरणों, नैदानिक, वैक्सीन बनाने वालों, चिकित्सीय और अन्य हस्तक्षेपों से जुड़े 16 प्रस्तावों के लिये वित्तपोषण की सिफारिश की है। 

कुछ जानने योग्य बातें:


  • COVID-19 रिसर्च कंसोर्टियम के लिये आवेदन का पहला चरण 30 मार्च, 2020 को समाप्त हुआ और शिक्षा एवं उद्योग जगत से लगभग 500 आवेदन प्राप्त हुए थे।
  •  COVID-19 से निपटने हेतु वैक्सीन तैयार करने के लिये विभिन्न प्लेटफाॅर्मों का उपयोग करने वाले प्रस्तावों तथा ऐसे प्रस्ताव जो वैक्सीन विकास के विभिन्न चरणों में हैं, पर त्वरित निर्णय सुनिश्चित के लिये रिसर्च कंसोर्टियम के माध्यम से एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। इन प्रस्तावों को राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (National Biopharma Mission) के तहत वित्तपोषित किया जायेगा| 
  • इसके लिये दोनों श्रेणियों- उच्च जोखिम वाले समूहों की तत्काल सुरक्षा के लिये मौजूदा वैक्सीन के उद्देश्य का फिर से निर्धारण और नए वैक्सीन के विकास प्रस्तावों पर विचार किया गया था। 
  • नोवल कोरोनावायरस सार्स सीओवी–2 (SARS-CoV-2) के खिलाफ DNA वैक्सीन के विकास को आगे बढ़ाने के लिये कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड (Cadila Healthcare Ltd) को वित्तपोषण के समर्थन की सिफारिश की गई है। 
  • COVID-19 की वैक्सीन के लिये भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (Bharat Biotech International Ltd) की सिफारिश की गई है जो निष्क्रिय रेबीज़ वेक्टर प्लेटफॉर्म का उपयोग करेगा।
  • इसके अलावा, तीसरे चरण के लिये उच्च जोखिम वाले लोगों में पुनर्संयोजित BCG वैक्सीन (VPM1002) के मानव नैदानिक ​​परीक्षणों के अध्ययन के लिये सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Serum Institute of India Private Limited) की सिफारिश की गई है। 
  • नए वैक्सीन के विकास के मूल्यांकन की ज़िम्मेदारी निभाने वाली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजीसार्स सीओवी- 2 (SARS-CoV-2) के खिलाफ वैक्सीन विकास को समर्थन प्रदान करेगी। इस संस्थान को भी वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश की गई है।
  • स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने तथा आण्विक (Molecular) एवं रैपिड डायग्नोस्टिक परीक्षण किटों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न कंपनियों जैसे- माईलैब डिस्कवरी सलूशन प्राइवेट लिमिटेड, ह्यूवेल लाइफसाइंसेज़, यूबायो बायो टेक्नोलॉजी सिस्टम्स  प्राइवेट लिमिटेड, धीति लाइफ साइंसेज़ प्राइवेट लिमिटेड, मैगजीनोम टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, बिगटेक प्राइवेट लिमिटेड और याथुम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, को वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।  
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology), भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science & Technology) के अंतर्गत आता है।   
  • जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (Biotechnology Industry Research Assistance Council), भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।

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