Friday, 24 April 2020

स्वच्छता और सर्वोदय -During LockDown-Covid-19-Coronavirus

आज वैश्विक महामारी COVID-19- कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन की व्यवस्था उपलब्ध विकल्पों में सर्वोत्तम है, परंतु यह भी सत्य है कि लॉकडाउन के चलते सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ रोक दी गई हैं। परिणामस्वरूप अब यह आशंका बलवती हो गई है कि भारत सहित विश्व की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाएँ अवमंदन/मंदी की ओर बढ़ रही हैं। जहाँ एक ओर लगभग विश्व के सभी देश कोरोना वायरस से बचाव संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे हैं वहीँ दूसरी ओर अब इन देशों के समक्ष अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने की दोहरी चुनौती है।
ऐसे में प्रत्येक देश अपने स्तर पर अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिये प्रयासरत हैं। भारत के लिये विशेषज्ञों ने अर्थव्यवस्था में आई मंदी का मुकाबला करने के लिये कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के साथ इसके आधुनिकीकरण की वकालत की है। ध्यातव्य है कि भारत में मंदी की यह स्थिति अधिक चिंताजनक है क्योंकि पूर्व में ही राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई थी। जो स्पष्ट रूप से मंदी का संकेत दे रहा था।
आज आधुनिकता की अंधाधुंध दौड़ में दौड़ रहे विश्व के सभी देशों की गति पर कोरोना वायरस ने ब्रेक लगा दिया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोरोना वायरस का तेज़ी से प्रसार इसी दौड़ का परिणाम है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन की व्यवस्था अपनाई गई है। इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिये गांधीवादी दृष्टिकोण पर आधारित स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सामान्यतः महात्मा गांधी को औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध के विरुद्ध संघर्ष करने वाले योद्धा के रूप में देखा जाता है, किंतु यदि गहराई से देखें तो गांधी ने न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई बल्कि उन्होंने हर समय भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठता दिलाने का प्रयास भी किया और विश्व व्यवस्था के समक्ष भारतीय सभ्यता का प्रतिनिधित्व किया।
वैश्विक महामारी COVID-19 के प्रसार को रोकने में सहायक स्वदेशी, स्वच्छता की अवधारणा का मूल्यांकन करने का प्रयास किया जाएगा

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